पत्र-साहित्य
लेखक पत्र-साहित्य
समाचारों का आदान-प्रदान करना पत्र लेखन कहलाता है। प्राचीन समय में पत्र लेखन का बहुत अधिक प्रचलन था। पत्र चाहे औपचारिक हो या अनौपचारिक दोनों ही स्थिति में पत्रों का उपयोग किया जाता था। परन्तु आज समय के आधुनिकता के साथ-साथ सभी चीजों का आधुनिकरण हो रहा है। अनौपचारिक पत्रों के लिए मोबाईल, टेलीफोन, टेलीग्राम आदि का इस्तेमाल करने लगे हैं, किन्तु आज भी औपचारिक पत्रों का लेखन कागज के माध्यम से किया जाता है। आधुनिक युग में पत्रलेखन को कला की ‘संज्ञा’ दी गई है। साहित्य में भी इसका उपयोग होने लगा है। एक अच्छे पत्र के लिए कलात्मक सौंदर्यबोध और अन्तरंग भावनाओं का अभिव्यंजना आवश्यक है। पत्र में लेखक की भावनाएँ ही व्यक्त नहीं होती, बल्कि लिखने वाले का व्यक्तित्व भी उभरता है। इससे लेखक के चरित्र, दृष्टिकोण, संस्कार, मानसिक स्थिति, आचरण इत्यादि अभी एक साथ झलकते हैं। अतः पत्र लेखन एक प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति है। आधुनिक युग के पाश्चात्य प्रभाव के कारण पत्र-साहित्य एक नवीन विधा के रूप में प्रचलित है।
पत्र, साहित्य की वह विधा है, जिसके द्वारा मनुष्य समाज में रहते हुए अपने भावों विचारों को दूसरों तक संप्रेषित करना चाहता है। इसके लिए वह पत्रों का सहारा लेता है। अतः व्यावसायिक, सामाजिक, कार्यालय आदि से सम्बंधित अपने भावों एवं विचारों को प्रकट करने में पत्र अत्यंत उपयोगी होते हैं।
बैजनाथ सिंह ‘विनोद’: द्विवेदी पत्रावली (1954), द्विवेदी युग के साहित्यकारों के कुछ पत्र (1958)
हिन्दी पत्र साहित्य (Hindi patr-sahity)
सम्पादक/संकलनकर्ता | पत्र संग्रह/संकलन |
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भगवद्दत्त | ऋषि दयानन्द का पत्र व्यवहार (1909) |
सतीश चन्द्र | पत्रांजलि (1922) |
सुभाषचन्द्र बोस | पत्रावलि |
भदन्त आनन्द कौसल्यायन | भिक्षु के पत्र (भाग-1 और 2, 1940) |
डॉ० धीरेन्द्र वर्मा | यूरोप के पत्र (1944) |
सत्यभक्त स्वामी | अनमोल पत्र (1950) |
सूर्यबाला सिंह | मनोहर पत्र (1952) |
ब्रजमोहनलाल वर्मा | लन्दन के पत्र (1954) |
बैजनाथ सिंह ‘विनोद’ | द्विवेदी पत्रावली (1954) |
बनारसीदास चतुर्वेदी व हरिशंकर शर्मा | पद्म सिंह शर्मा के पत्र (1956) |
धीरेन्द्र वर्मा व लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय | प्राचीन हिन्दी पत्र संग्रह (1959) |
शान्तिप्रिय आत्माराम | आलमगीर के पत्र (1931) |
वियोगी हरि | बड़ों के प्रेरणादायक कुछ पत्र (1960) |
कमलापति त्रिपाठी | बंदी की चेतना (1962) |
डॉ० जगदीश चन्द्र | सोवियत रूस पिता के पत्रों में (1966) |
किशोरीदास वाजपेयी | साहित्यिकों के पत्र (1958) |
अमृतराय | चिट्ठी पत्री (दो भाग) (1962) |
पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ | फाइल और प्रोफाइल (1968) |
जीवन प्रकाश जोशी | बच्चन पत्रों में (1970) |
वृन्दावनलाल वर्मा | बनारसीदास चतुर्वेदी के पत्र (1971) |
मधुरेश | यशपाल के पत्र (1977) |
रमण शांडिल्य | बाबू वृन्दावनलाल दास के पत्र (1978) |
विजयेन्द्र स्नातक | अनुभूति के साथ (1980) |
पद्मधर पाठक | द्विवेदीजी के पत्र पाठकजी के नाम (1982) |
मुकुन्द द्विवेदी | पत्र (1983) |
नेमिचन्द्र जैन | पाया पत्र तुम्हारा (1984) |
चन्द्रदेव सिंह | बच्चन के विशिष्ट पत्र (1984) |
हरिवंशराय बच्चन | कवियों में सौम्य सन्त (1960) |
डॉ० शिवप्रसाद सिंह | शान्ति निकेतन से शिवालिक तक (1967) |
लक्ष्मीशंकर व्यास | पराड़करजी और पत्रकारिता |
भगवती प्रसाद सिंह | पत्रलोक |
रत्नशंकर प्रसाद | प्रसाद के नाम पत्र (1976) |
कन्हैयालाल फूलफगर | दिनकर के पत्र (1981) |
जीवन प्रसाद जोशी | अंचल पत्रों में (1983) |
नरेन्द्र कोहली | (1) नागार्जुन के पत्र (1987), (2) प्रतिनाद (1996) |
राधा भालोटिया | पत्रों के प्रकाश में कन्हैयालाल सोठिया (1989) |
रामविलास शर्मा | (1) मित्र संवाद (1992), (2) आपस की बातें (1996) |
गोविन्द मिश्र | संवाद अनायास (1993) |
जयदेव तनेजा | राकेश और परिवेश पत्रों में (1955) |
रामविलास शर्मा | (1) तीन महारथियों के पत्र (1997), (2) कवियों के पत्र (2000) |
नंदकिशोर नवल | मैं पढ़ा जा चुका पत्र (1997) |
भारत यायावर | चिठिया हो तो हर कोई बाँचे (1999) |
पुष्पा भारती | अक्षर-अक्षर यज्ञ (1999) |
डॉ० कमलेश अवस्थी | हमकों लिख्यौं हैं कहाँ (2001) |
बिन्दु अग्रवाल | पत्राचार (2001) |
डॉ० विवेकी राय | पत्रों की छाँव में (2003) |
शरद नागर | अत्र कुशल यत्रास्तु (2005) |
डॉ० नामवर सिंह व विनयमोहन | काशी के नाम (2006) |
गगन गिल | प्रिय राम (2006) |
कृपाशंकर चौबे | चलकर आए शब्द |
रमेश गजानन मुक्तिबोध व अशोक वाजपेयी | मेरे युवजन : मेरे परिजन (2007) |